आदिवासी: प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षक
Keywords:
आदिवासी, प्राकृतिक संसाधन, संरक्षकAbstract
प्रकृति से मानव का अटूट सम्बन्ध रहा है। प्रकृति से संघर्ष और उसके संरक्षण की बीच ही मनुष्य ने साहित्य, संगीत व विविध कलाओं का सृजन किया है। वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण एक बड़ी चुनौती है। एक तरफ हम अपने अस्तित्व की रक्षा हेतु प्रकृति से संघर्ष कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर उसे ईष्वर मानकर उसकी पूजा-अर्चना कर उसके प्रति अपनी कृतज्ञता एवं कत्र्तव्यनिष्ठा भी प्रकट कर रहे हैं। विकास की पूंजीवादी व्यवस्था ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम इसका संरक्षण कैसे करे। भारत ही नहीं अपितु पूरे विष्व में इस पर्यावरण संकट से निपटने का प्रयास किया जा रहा है और नित-नये विकास की योजनाएँ तैयार की जा रही है। ऐसे समय में हम यदि उन क्षेत्रों को देखे जहां वन एवं पर्यावरण कुछ बचा है तो वह क्षेत्र है आदिवासियों के निवास स्थल का। उन्होंने इसे अपना ईश्वर मानकर इसकी अराधना की है और अपने आपको प्रकृति का संरक्षक बना रखा है।
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