आधुनिक परिप्रेक्ष्य में पर्यावरणीय समस्या के विभिन्न प्रतिरूप एवम् उसके निदान का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Keywords:
आधुनिक परिप्रेक्ष्य, पर्यावरणीय समस्या, विश्लेषणात्मक अध्ययनAbstract
वैज्ञानिकीकरण की होड़, मानव समुदाय का असीमित लालच, तीव्र गति से नष्ट हो रहे प्राकृतिक संसाधन और प्रदूषण से व्याप्त यह संसार निकट भविष्य के लिए एक अनहोनी का संकेत दे रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो जिस गति से हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं, उसी गति से विनाश हमारी ओर बढ़ रहा है। मानवता के समक्ष यह एक विराट समस्या है, यदि इसका उचित समाधान कर लिया गया तो ठीक, वरना सम्पूर्ण जीवन-जगत एक विराम की स्थिति में खड़ा हो जाएगा। पर्यावरण की शुद्धता पर ही मानव जाति का वर्तमान व उसकी भावी पीढ़ी का अस्तित्व निर्भर करता है। आज यह अस्तित्व संकट की चपेट में आ गया है। अस्तित्व संकट के इसी दबाव के फलस्वरूप ही मानव पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हुआ है। विकास के नाम पर विलासितायुक्त जीवन के लिए उसने प्रकृति को संसाधन मानते हुए उसका जो अनावश्यक श¨षण किया है पर्यावरण समस्या उसी का गंभीर परिणाम है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता की कमी, आधुनिकीकरण एवं औद्यौगिकीकरण की अन्धाधुंध दौड़ तथा मानव के बढ़ते लालच के कारण प्राकृतिक संसाधनों के क्षत-विक्षत किया जा रहा है और पर्यावरण प्रदूषण की समस्या में निरंतर अभिवृद्धि हो रही है।
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