यमुना घाटी (उत्तरकाशी) का पुरातत्व एवं संस्कृति : एक ऐतिहासिक अध्ययन

Authors

  • Dr. Vijay Bahuguna Author
  • DR. Asharam Bijalwan Author
  • Daya Prasad Author
  • Dr. Meenakshi Rana Author
  • Dr. Veer Raghav Khanduri Author

Keywords:

ऐतिहासिक अध्ययन, पुरातत्व एवं संस्कृति, यमुना घाटी (उत्तरकाशी)

Abstract

भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत मूर्तिकला,अभिलेखों का पाठांतर, स्प्रिंग्सशेड मैनेजमेंट अथवा जल संसाधन बावड़ी से सम्बद्ध है,गंगनानी शिलालेख संस्कृत भाषा में अभिलिखित है,कुछ पंक्तियां मिट चुकी हैं।गंगनानी स्थित कुंड का ऐतिहासिक महत्व रहा है।रॉक पेंटिंग में परिलक्षित पिक्टोग्राफ से जान पड़ता है कि भाषा का विकास भी उपर्युक्त पेंटिंग में प्रतिबिंबित होता है।यमुना घाटी का पुरातत्व लाखामंडल की ईश्वरा की प्रशस्ति,केदार की प्राचीन मूर्ति,छगलेश का अभिलेख ,पुराला की रॉक पेंटिंग,कप मार्क्स,यज्ञ वेदिका खासा महत्व रखता है। शोधार्थियों को भाषा विज्ञान का अध्ययन भी किया जाना चाहिए,इसी इलाके में जौनपुरी,जौनसारी और रवाई की भाषा समृद्ध है।

यमुना घाटी (उत्तरकाशी) में पिछले दो दशकों से रॉक पेंटिंग,कप मार्क्स,अभिलेख और मूर्तिकला से संबंधित अवशेष मिले हैं,केदार मूर्तिकला पर आधारित है(Joshi et al.,2021) जो शैव परंपरा को प्रदर्शित करता है,गढ़ देवल गांव(बर्निगाड़) में  २०२० के आसपास पाशुपत शिव की भांति लोक परंपरा पर आधारित है।मानसखंड और केदारखंड जल से सम्बद्ध है,कैलाश मानसरोवर एक झील है जहां से जीवन दायिनी नदियां निकलती हैं।यमुना घाटी में हुड़ोली नामक स्थल के पास ठढूंग गांव में ब्राह्मी लिपि में एक अभिलेख मिला है जिसका पाठांतर किया जा चुका है(Joshi et al.,2017).गंगनानी शिलालेख में एक संस्कृत में प्रस्तर अभिलेख मिला है,जो यमुनोत्री मार्ग पर यमुना नदी के  बाएं तट पर बावड़ी/कुंड मिला है,जहां दूर दूर से लोग स्नान करने आते हैं,ब्रिटिश अन्वेषक जेम्स बैली फ्रेजर ने १८२० के आसपास गंगनानी गया था लेकिन कुंड और मंदिर का अस्तित्व नहीं था। परवर्ती काल में स्थानीय लोगों ने कुंड और मंदिर की सूचना दी होगी तभी गंगनानी का कुंड खोज निकाला।केदार की मूर्ति का गहरा संबंध गंगनानी से रहा है,शिव की जलधारा गंगनानी से जुदा हुआ है।ऐतिहासिक तथ्य बतलाते हैं कि केदार का संबंध जल से रहा है,जबकि गंगनानी कुंड का संबंध आस्था और पवित्रता का प्रतीक है।हेनवुड(१८५४) और कार्नेक ने द्वारहाट की शिलाओं में उथले गड्ढे कप मार्क देखे थे ठीक उसी तर्ज पर यमुना घाटी में कप मार्क्स देखने को मिलते हैं। यमुना घाटी पुरातत्वविदों,भाषाविदों और इतिहासकारों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।

Author Biographies

  • Dr. Vijay Bahuguna

    Assistant Professor History,Vskc Govt Pg College Dakpatthar Vikasnagar Dehradun Uttarakhand

  • DR. Asharam Bijalwan

    Associate Professor History, GOVT.Degree College Mori, Uttarkashi,  Uttarakhand

  • Daya Prasad

    Assistant Professor Hindi, Rajendra Singh Rawat, GOVT.Degree College Barkot, Uttarakhand, Uttarakhand

  • Dr. Meenakshi Rana

    Assistant Professor, Hindi Department, Onkaranand Saraswati Govt.Degree College, Devprayag, Tehri Garhwal, Uttarakhand

  • Dr. Veer Raghav Khanduri

    Assistant Professor, Sanskrit Department, VSKC GOVT.PG College Dakpatthar, Vikasnagar, Dehradun UTTARAKHAND

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Published

2025-06-10

Issue

Section

Articles

How to Cite

यमुना घाटी (उत्तरकाशी) का पुरातत्व एवं संस्कृति : एक ऐतिहासिक अध्ययन. (2025). Siddhanta’s International Journal of Advanced Research in Arts & Humanities, 2(5), 271-285. https://sijarah.com/index.php/sijarah/article/view/128

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